भारत को corona ki vaccine के लिए पुणे के जिस सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई) से सर्वाधिक उम्मीदें हैं, उसकी बनाई वैक्सीन दुनियाभर के 65 प्रतिशत बच्चों के काम आती है। प्रधानमंत्री 28 नवंबर को इसी सीरम institute का दौरा कर वैक्सीन की तैयारियों कि जानकारी लेने वाले हैं। सीरम इंस्टीट्यूट की स्थापना 1966 में साइरस पूनावाला ने की थी। यह अब भारत की नंबर 1 बायोटेक्नोलाजी कंपनी तो बन ही चुकी है, vaccine एवं प्रतिरक्षात्मक दवाओं का उत्पादन करनेवाली यह दुनिया की नंबर 1 कंपनी है।
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कितने डोज़ तैयार होते हैं।
यहां पोलियों के साथ-साथ डिप्थीरिया, टिटनेस, HIB, BCG, hepatitis-B चेचक एवं रुबेला आदि की वैक्सीन के 1.5 अरब डोज हर साल तैयार होते हैं। आक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन का उत्पादन भी यह कंपनी बड़ी मात्रा में कर सकती है। जिसका प्रयोग न सिर्फ भारत, बल्कि कई देशों में हो सकता है। सीरम institute बनी वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से तो मान्यता प्राप्त है, 170 से अधिक देश इसका प्रयोग करते हैं। देश को सस्ती दरों पर जीवन पृयोगी वैक्सीन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित यह कंपनी टिटनेस एंटी टाक्सीन के अलावा सर्पदंश की medicine का भी उत्पादन करती है। सितंबर 2019 में सीरम institute ने पुणे में ही अपनी बहुआयामी अत्याधुनिक वैक्सीन उत्पादन इकाई सुरुआत की है। लगभग 3000 करोड़ की लागत से तैयार यह इकाई अब बड़े नतीजे पर corona ki vaccine के उत्पादन में सहायक होगी।
प्रोडक्शन क्षमता।
बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट की production क्षमता को देखते हुए ही वैश्विक दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका एवं आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने उसके साथ कोरोना टीके के production का करार किया है। सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन ने जिन सात फर्मों को corona vaccine के प्री क्लीनिकल ट्रायल एवं विश्लेषण की अनुमति दी है, सीरम institute उनमें से एक है। अब ‘कोविशील्ड’ नामक इस वैक्सीन पर शोध अपने आखरी चरण में है, और माना जा रहा है कि एस्ट्राजेनेका-आक्सफोर्ड की वैक्सीन भारतवासीयो के लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है।
institute वितरण नेटवर्क।
इसके अलावा सीरम institute का वितरण नेटवर्क काफी बड़ा होने से यह विश्व के कई सारे देशों के भी काम आ सकती है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी शनिवार को स्वयं सीरम institute का दौरा कर इस उत्पादन इकाई की जानकारी लेना चाहते हैं। पहले बताया जा रहा था कि कई ओर देशों के राजदूत भी प्रधानमंत्री के साथ ही पुणे आकर सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन production क्षमता को देखना चाहते हैं। लेकिन अब अन्य देशों के राजदूतों का दौरान शायद 4 दिसंबर को होना निर्धारित है। सीरम इंस्टीट्यूट के CEO अदार पूनावाला कुछ दिनों पहले यह कह चुके हैं कि उनके संस्थान में बनी वैक्सीन का आधा हिस्सा भारत में प्रयोग होगा, शेष की आपूर्ति अन्य देशों को की जाएगी
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